Desh Vibhajan Ka Khuni Itihas – देश विभाजन का खुनी इतिहास
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साम्प्रदायिक संबंधों के इतिहास में, 1946-47 के साल, भारत के लगभग सभी हिस्सों में विषम अविश्वास, कटुता और उन्मादपूर्ण संघर्ष की अवधि को रेखांकित करते हैं। मुसलमानों और गैर मुसलमानों के बीच तबतक तनाव बढ़ता गया जबतक कि आपस में बाँधे रखने वाले धागे टूट कर उन्हें सदा के लिए बिखरा नहीं दिए। कलकत्ता नोआखाली और बिहार के संत्रास और कुछ विराम के बाद पंजाब, पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्त और सिन्ध की दर्दनाक घटनाएँ हुईं। भारी संख्या में हिन्दुओं को कलकत्ता और नोआखाली छोड़कर निकलना पड़ा। 1946 के अक्टूबर में बिहार से मुसलमानों का भी वैसा ही पलायन देखा गया। मार्च 1947 में पश्चिमी पंजाब के अनेक भाग जलने लगे और करीब पाँच लाख हिन्दू और सिख अपने घरों को छोड़ कर पूर्वी जिलों में जा बसे। वे अपने साथ दिल दहलाने वाले हत्या, लूट, आगजनी और बड़े पैमाने पर सम्पत्ति के विनाश वाले उत्पीड़न के किस्से भी लाए। हर समाचार ने भारत में गैर-मुसलमानों के रोष और नफरत को बढ़ाया और दोनों समुदायों के बीच कटुता में और भी वृद्धि की । परस्पर बदले की कार्रवाई हुई और अगस्त से दिसम्बर 1947 के पाँच महीनों में पूर्वी और पश्चिमी पंजाब, पश्चिमोत्तर सीमाप्रान्त और सिन्ध प्रान्त भाई-भाई की भयानक और हिंसापूर्ण लड़ाई की व्यथा से काँप उठे। और, जबकि हर जगह हत्या, आगजनी, लूट की कार्रवाई चल रही थी, लोगों का बड़े पैमाने पर इधर से उधर आने-जाने से और भी खलबली पैदा हुई । मुसलमान पश्चिम की ओर पाकिस्तान जा रहे थे और गैर मुसलमान पाकिस्तान छोड़कर भारत ।
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