Godse Ki Awaaj Suno
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गांधी जी के विचार- पाकिस्तान निर्माण के समय
अरे हिन्दुओ ! तुम पाकिस्तान से जान बचा कर क्यों आए, तुम्हें वहीं मर जाना चाहिये था ।
। “मैं अपना शेष जीवन पाकिस्तान में व्यतीत करना चाहता हूं।” पाकिस्तान के प्रति अपार स्नेह से भरे यह उद्गार किसी धर्मान्ध हिन्दू-विद्वेषी कठमुल्ले के नहीं बल्कि भारत के एक धर्म-परायण हिन्दू परिवार में जन्में उस राजनैतिक शक्ससियत गांधी के हैं जो पूरे तीन दशक तक अविभाजित भारत के ३२ करोड़ हिन्दुओं को अन्त तक यह दिलासा देकर भ्रमित करता रहा कि पाकिस्तान नहीं बनेगा और यदि बना तो वह मेरी लाश पर बनेगा । इसी महान हिन्दू राजनैतिक हस्ती ने पाकिस्तान के जनक मोहम्मद अली जिन्ना को, उसके नापाक कदमों पर नाक रगड़-रगड़ कर, न सिर्फ ‘कायदे आजम’ बना दिया बल्कि हिन्दुओं को सेक्यूलर ब्राण्ड अफीम की खुराक -दर-खुराक देकर अन्ततः देश के एक तिहाई भाग को ‘दारूल इस्लाम’ में परिवर्तित करा कर उसे इस्लामी परम्परानुसार करोड़ों हिन्दुओं की कब्रगाह बनाकर ही विश्राम लिया । यदि इनका वश चलता तो उन लाखों हिन्दू और सिक्खों को भी उन्होंने पाकिस्तान में मुस्लिम लीगी गुण्डों से कटवा दिया होता जो किसी तरह अपनी जान बचाकर भारत में शरणार्थी के रूप में शरण लेने में सफल हो गये थे। उन्होंने सन् १९४७ में पाकिस्तान में सर्वस्व लुटाकर आये शरणार्थियों से खुले शब्दों में कहा था कि वे यहां भारत में जान बचाकर क्यों आये? उन्हें वहां मर जाना चाहिये था । अगर मुसलमान सभी को मार डालें तो हिन्दुओं को मर जाना चाहिए क्योंकि मारने वाले हमारे मुस्लिम भाई ही तो हैं । दुर्भाग्य से ये कांग्रेसी रहनुमा जीवन भर सर्व धर्म समभावी हिन्दुओं को तो धर्म-निरपेक्षता का उपदेश देते रहे जो जन्म से धार्मिक सहिष्णुता में अटूट विश्वास रखते हैं, पर जिहादी मुसलमानों को जिन्हें जन्म के साथ मजहवी कट्टरता और अन्य सम्प्रदार्यों के प्रति हिंसा और नफरत का जहर घुट्टी में पिलाया जाता है और मदरसों में काफिरों से आजन्म लड़ते रहने की उत्तेजक कुरआनी आयतें रटा-रटा कर जिहाद के लिए तैयार किया जाता है, धर्म-निरपेक्षता का एकमेव ठेकेदार मानते रहे । मेरी चुनौती है कि संसार के पर्दे पर कोई मुसलमान धर्म-निरपेक्ष नहीं हो सकता । यदि कोई मुसलमान अपने को धर्म निरपेक्ष कहता है तो वह कुरान, सुन्ना और हदीस के अनुसार सच्चा मुसलमान नहीं है।
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