Bhartiya Swadhinta Ke Pitamah:Subhash Chandra Bose (Apnon Ne Hi Bhulaya)
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ब्रिटिश को अहिंसावादी गाँधी से भय नहीं था, उसी प्रकार नेहरू, जो कि परिवर्तित परिस्थितयों में प्रथम दृष्टया, सभ्य एवं प्रतिष्ठित परिवार से राजनेता होने का मुखौटा धारण किए हुए थे, से भी भय नहीं था। लेकिन ब्रिटिश तब सुभाष चन्द्र बोस से तथा उनके द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली उग्रता से भयभीत थे (तत्कालीन ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऐटली के उदगार) ।
सुभाष चन्द्र बोस का मानना था कि भारत से अंग्रेजी हुकूमत को खत्म करने के लिए सशस्त्र विद्रोह ही एक मात्र रास्ता हो सकता है। अपनी विचारधारा पर वह जीवन-पर्यतं चलते रहे और उन्होंने एक ऐसी फौज़ खड़ी की जो दुनिया में किसी भी सेना को टक्कर देने की हिम्मत रखती थी। इस संगठन के प्रतीक चिन्ह एक झंडे पर झपटते हुए बाघ का चित्र बना होता था | आज़ाद हिन्द फ़ौज को छोड़कर विश्व इतिहास में ऐसा कोई भी दृष्टांत नहीं मिलता जहाँ तीस-पैंतीस हजार युद्धबन्दियों ने संगठित होकर अपने देश की आज़ादी के लिए प्रबल संघर्ष छेड़ा हो । नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विदेश में जाकर भी ऐसी सेना तैयार की जिसने आगे चलकर अंग्रेज़ों को दिन में तारे दिखाने का हौसला दिखाया और देश वासियों को आजादी के लिए उठ खड़ा किया।
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